विश्व सिंधि संगम अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में हुए महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित
पुणे। विश्व सिंधी संगम अंतरराष्ट्रीय सिंधी सम्मेलन में सिंधियत के दीदार के साथ विश्वव्यापी सिंधियों का हुआ अनूठा संगम विश्व सिंधी संगम द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सिंधी सम्मेलन पूना में विश्व स्तर पर सिंधी समाज को जोडऩे का मंथन हुआ। अंतरराष्ट्रीय सिंधी सम्मेलन में सिंधी भाषा एवं संस्कृति का अनूठा संगम देखने को मिला।
देश-विदेश में सिंधी परिवार एक दूसरे के व्यक्तिगत संपर्क में आए इसके लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। भारत सरकार द्वारा लोकसभा एवं राज्यसभा में पारित सी.ए. ए. का पूरे सदन द्वारा करतल ध्वनि से समर्थन किया गया। जनगणना के समय सिंधी समाज द्वारा अपनी जाति सिंधी तथा अपना धर्म हिंदू लिखवाये जाने का प्रस्ताव पारित किया गया। जिससे सिंधी समाज की सही गणना हो सके। केंद्र सरकार द्वारा केंद्र में सिंधी यूनिवर्सिटी बनाए जाने की मांग का प्रस्ताव पारित किया गया। हमें आपस में सिंधी भाषा में ही बातचीत करनी चाहिए जिससे हमारी भाषा संस्कृति का विस्तार हो सके। हम हमारी भाषा, संस्कृति और सांस्कृतिक धरोहरों की हमारी आने वाली पीढ़ी को जानकारी दे। ललित कला केंद्र की तरह सिंधी कला केंद्र की स्थापना की मांग की गई। 26 जनवरी को प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस परेड में सिंधी समाज की झांकी निकालने की मांग भी केंद्र सरकार से की गई। सिंधी समाज के अंतरराष्ट्रीय उद्योगपतियों से मांग की गई कि वह सिंधियत के लिए आगे आएं तथा फिल्म, खेल, पत्रकारिता, राजनीति, प्रशासनिक सेवाओ के लिए प्रतिभाशाली बच्चों को स्पॉन्सर करें। सिंधी समाज से धर्म परिवर्तन का पुरजोर विरोध किया गया। भारतीय मुद्रा में सिंधी भाषा में भी मूल्य अंकित करवाने की मांग की गई। सिंधी समाज का प्रत्येक व्यक्ति मिलजुल कर एवं एकता के साथ कार्य करें। एकता में ही शक्ति है। हमें हमारे समाज के प्रत्येक तकलीफ वालों की मदद दिल से करनी चाहिए। सिंधी समाज के प्रत्येक व्यवसायी को सी.एस.आर. का पैसा निकालना चाहिए और यह पैसा सिंधी समाज के लिए ही काम आए ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए। सिंधी भाई और बहनों को सिंधीयत के लिए प्रयास करना चाहिए। सिंधियत का झंडा हमेशा ऊंचा रहना चाहिए। सिंधी समाज के पुराने खानदानी संस्कार बच्चों को दिए जाएं। परंपराओं का पालन सादगी पूर्ण एवं मेहनत से किया जाए। इस अवसर पर हिंदूजा ग्रुप के श्री प्रकाश हिंदुजा ने कहा कि वह व्यापार की बुलंदियों पर मेहनत, सादगी, शाकाहारी तथा संयुक्त परिवार की वजह से पहुंचे हैं। सिंधी परंपराओं को आज तक निभा रहे हैं।उन्होंने कहा प्रात: उठते ही ईश्वर को धन्यवाद करते हैं।
सुरेश कुमार थदानी
राष्ट्रीय सचिव, विश्व सिंधी सेवा संगम