शुरू होते ही रुकी इंदौर-बुधनी रेल लाइन की फाइनल मार्किंग
इंदौर। इंदौर से बुधनी के बीच 205 किलोमीटर लंबी रेल लाइन की फाइनल मार्किंग का काम इंदौर तरफ से शुरू होते ही रुक गया है। मांगलिया के पास स्थित लसूड़िया परमार गांव के किसानों ने खड़ी फसल का हवाला देते हुए परियोजना सलाहकार कंपनी के प्रतिनिधियों को काम करने से रोक दिया। किसानों का तर्क है कि सर्वे के दौरान ट्रैक्टर उनकी खड़ी फसलों को रौंदते हुए जाते हैं। पहले उसका मुआवजा दें, उसके बाद सर्वे करें। किसानों ने यह भी कहा कि उन्हें जिला प्रशासन के अधिकारियों ने न तो ऐसे सर्वे की कोई मौखिक जानकारी दी है, न ही लिखित में मुआवजा संबंधी कोई पत्र दिया है। फिर अनजान कंपनी को हम कैसे अपने खेतों में सर्वे करने दें?
मार्किंग करने वाली सलाहकार कंपनी के प्रतिनिधियों का तर्क है कि उन्होंने करीब एक माह पहले ही इंदौर जिला प्रशासन को इसकी जानकारी दे दी थी और वहां से अनुमति के बाद ही सर्वे कार्य शुरू किया गया है। दोनों पक्षों में काफी देर तक चर्चा होती रही और बाद में सलाहकार कंपनी ने किसानों को भरोसा दिया कि वे जिला प्रशासन से स्थिति स्पष्ट होने के बाद ही काम करेंगे और किसानों का नुकसान नहीं होने देंगे।
लसूड़िया परमार के किसान ईश्वर ठाकुर ने बताया कि रेल लाइन के लिए सेंटर लाइन के दोनों तरफ 25-25 मीटर जमीन ली जा रही है। इसके लिए दोनों किनारों पर सीमेंट-कांक्रीट के खंभे गाड़े जा रहे हैं। किसानों ने खेत में बीज बो दिए हैं लेकिन सर्वे में लगे ट्रैक्टर और कर्मियों के कारण फसल खराब हो रही है। कंपनी वालों ने आदेश की जानकारी तो दी है लेकिन हमारे पास किसी तरह की कॉपी नहीं आई है। जमीन भी अब तक अधिग्रहित नहीं हुई है। किसानों ने उनसे सबूत मांगा है।
इसी गांव के एक अन्य किसान दिलीप पवार बताते हैं कि मार्किंग करने वालों के पास कोई अनुमति नहीं थी। हमने उनसे कहा कि फसल खराब कर रहे हो तो पहले मुआवजा दे दो। बाद में हम आपको कहां ढूंढेंगे? कंपनी ने भरोसा दिया है कि आपको हुए नुकसान का मुआवजा दिलवाने के बाद ही काम करेंगे। सांवेर तहसील के राऊखेड़ी, डकाच्या, सुल्लाखेड़ी, कदवाली और व्यासखेड़ी समेत आठ-10 गांवों की जमीनें रेल लाइन में ली जाएंगी।
शुरू होते ही रुकी इंदौर-बुधनी रेल लाइन की फाइनल मार्किंग