मुल्क आजाद दिसां,आबाद दिसा
एक नाटक है जिसमें स्वतंत्रता सेनानी स्व पमनदास जी मनवानी के जीवन और कार्यों को देख सकेंगे ।
एक सार्थक जीवन जीते हुए स्वतंत्रता सेनानी दादा पमन दास मनवानी का दो दिसम्बर 2012 को अवसान हो हुआ .दादा ने एक दिन पहले यानि एक दिसंबर 2012 को जीवन के 94 वर्ष में प्रवेश किया था।
अविभाजित हिंदुस्तान में दादा पमन दास जी ने छह माह कारावास में भी बिताये थे।वे एक बार सुभाष चन्द्र जी बोस से भी मिले वे,जब नेताजी पास के स्टेशन से क्रास हो रहे थे। उन्होंने गाँधी जी के मार्ग को अपनाया। आजीवन खादी का प्रयोग किया।
दादा पमनदास की अन्त्येष्टि 3 दिसम्बर 2012 को बैरागढ़ विश्राम घाट पर राजकीय सम्मान के साथ हुई थी।इस अवसर पर शहरवासी उमड़ पड़े थे।
दिसंबर माह के पहले हफ्ते में
दादा मनवानी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करने नाट्य मंचन किया जा रहा है। नाटक की परिकल्पना लेखक अशोक मनवानी की है।
निर्देशन ओपी आसुदानी जी का
है जो जाने- माने रंगकर्मी,मॉडल हैं।उन्होंने सिंधी हिंदी सिनेमा से जुड़कर प्रतिभाशाली कलाकार और निर्देशक की पहचान स्थापित की है।
इस नाटक की विशेषता होगी कि इसमें डिफरेंट शेड के चरित्र लिए गए हैं,ये वास्तविक किरदार हैं जिनका अभिनय कोई मंझा हुआ किरदार ,कोई कलाकार करेगा। संत नगर में काव्य परम्परा को आगे बढ़ाने वाले स्व परसराम वाधवानी, घर घर दूध पहुंचने वाले हंसमुख व्यक्ति स्व परसराम मीना, हर दिल अजीज मामा गोविंदराम, समाजसेवी नानक चंदानी, पंचायत प्रेसिडेंट साबू रीझवानी जी भी दिखेंगे...
सिंधी ओताक आएगी नाट्य मंच पर
पहली बार,सिंधी ओताक मंच पर दिखेगी।यह ओताक
सिर्फ एक बैठक स्थल नहीं बल्कि,आनंद क्लब होता है,रेस्ट रूम होता है,जीवन के संघर्षों, झंझावातों से हटकर राहत के कुछ पल, यहां दोस्तों के साथ बिताने का, जहां सब बराबर होते थे,आठ साल से लेकर साठ साल तक ही नहीं अस्सी ,नब्बे साल तक के लोग अपनी बात कह सकते था।दादा, एक विचार थे,जीवन शैली थे,आदर्श थे,आजीवन खादी वस्त्र अपनाने वाले दादा मनवानी जी छह वर्ष पंचायत अध्यक्ष भी रहे,उन्होंने पदाधिकारियों को पंचायत आफिस में सार्वजनिक स्वच्छता में सहयोग देने की सामूहिक शपथ दिलवाई थी। पंचायत पदाधिकारियों द्वारा
यह घटना संत हिरदाराम नगर में याद रखी जाती है। उनका संदेश था,सब सद्भाव रखें आपस में,मिल जुल कर परस्पर सहयोग करें सामाजिक कार्यों में,सिंधी त्योहार भी मनाएं।यही नहीं सिंधी भाषी प्रतिभाओं को प्रोत्साहित भी करें । आत्म प्रचार से दूर रहकर नई पीढ़ी को प्रेरित करें उन्हें मार्गदर्शन दें,अच्छी शिक्षा के साथ अच्छे संस्कार भी दें।